मल्हार ध्वनि आरती
दुनियां बनाने वाले, सबको
रिझाने वाले।
दुनियां बनाई हसि खेल के॥
दु:ख दिये और सु:ख दिये, दोनों के मेल मिलाये।
रचना की है इतनी सुंदर, कितने रूप बनाये॥
काया बनाने वाले, अपनी
छुपाने वाले।
काया बनाई हसि खेल के।
पहले तूने प्यार दिया, बाद में
लिखी जुदाई।
इन अखियों में रोता छोडा, कैसी डोर बनाई॥
रिश्ता बनाने वाले, सबको
रूलाने वाले।
हसाया रूलाया हसि खेल के।
तेरी रचना मैने देखी, दु:ख ही दु:ख यहां पर।
जिसने किये सच्चे कर्म, सु:ख ही सु:ख वहां पर॥
रचना रचाने वाले, सु:ख
दिलाने वाले।
रचना रचाई हसि खेल के।
किसके हाथों में क्या लिखा, समझ नही कोई पाता।
एन.एस. तेरे चरणों का, दास
रहे विधाता।।
सु:ख रखने वाले, कष्ट
हरने वाले।
कष्ट मिटाने हसि खेल के।
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