देख कैसी हालत मेरी, हो गई तेरे प्यार में|
आंखों से आंसू बहते हैं, तेरे ही इंतजार में||
देख कैसी हालत मेरी...........................|
किस किस को हम बताएं, अपने गमों को कैसे छुपाऊं|
दिल में तुम मेरे बस गए हो, तुमको कैसे मैं समझाऊं|1
हम तो दीवानी हो गई हूं, तेरे ही व्यवहार में|
देख कैसी हालत मेरी...............................|
नैना खोजें तुझको हरदम, तू कहीं नजर ना आए|
लोग कहते तू है पागल, क्यों ये आंसू बहाए||2||
मैं तो देख पागल हो गई, तेरे इश्क़ प्यार में |
देख कैसी हालत मेरी............................|
जब से गए हैं तेरी नगरी तूने दिल चुराया|
तेरे घर सा प्यार मैंने,और कहीं ना पाया||3||
तेरी सूरत बस गई दिल में, हूं तेरी दिलदार में|
देख कैसी हालत मेरी................................|
ऐसी मर्ज मुझको हो गई, इलाज न इसका कोई|
तुझको चाहूं हरदम में, बस न पाए कोई||4||
तेरी चाहत में हम गईं हूं, खोई तेरे प्यार में|
देख कैसी हालत मेरी हो गई तेरे प्यार में|
आंखों आंसू बहते हैं, तेरे इंतजार में|
(Tathagat Neetesh Shakya)
मेरे तन पे छुरी रखके, कहती प्यार है तुमसे
मेरे तन पे छुरी रखके, कहती प्यार है तुमसे।
कैसे यकीन करूं में, ये कैसा प्यार है हमसे॥
लहू बहाया मेरे सीने का, कैसी गद्गद की।
प्यार करके तूने मुझसे, क्यों ये नफरत की॥1॥
पीठ पीछे बार करती, कैसे यकीन करूं
कहती प्यार है तुमसे, कैसे यकीन करूं
सीने पे छुरी रख्खी, तरस न तुमको आया।
एक छोटा दिल का टुकडा, तूने काट के मेरा बिखराया॥2॥
तुमको प्यार है मुझसे, कैसे यकीन करूं
जीना रहा न मेरा, दिल मेरा तोड़ दिया।
ये जख्म दिये मुझको, मेरा खून क्यों किया॥3॥
प्यार है दिल में तुम्हारे, कैसे यकीन करूं
कहना है:-
“हुस्न बालों ने मुझे लूटा, लुटने के बाद याद आई।
चाहा मैंने जिसे दिले जान से, वो किसी ओर की निकल आई।
टूट गया मेरा दिल हजारों टुकडों में बिखर गया।
दिल के टुकडे लहू से धोये तो तेरी तस्वीर निकल आई।“
खूने जिगर बहता, कैसी हालत की।
रख दी छुरी तन पर,क्यों ये बगावत की॥4॥
कहती प्यार है तुमसे,कैसे यकीन करूं
पीठ पीछे बार करती,कैसे यकीन करूं
Tathagat Neetesh Shakya
देकर मुझे ऐसा गम, तन्हा रह गये हैं हम।
देकर मुझे ऐसा गम, तन्हा रह गये हैं हम।
जीने की खाई कसम, साथ देगें हरदम।
हमें तुम्हारा प्यार, अब कहां नसीब होगा।
तुम्हारे सिवा दिल के, नहीं कोई करीब होगा॥
ना मुझे दो ऐसा गम, तन्हा..................|
दिल मेरा तोड.....................................।
दिल टूटेगा तुम्हारा, तब याद करोगे मुझको||
क्यों छोड़ गये हो तुम, तन्हा रह गये हैं हम
दिल मेरा तोड.....................................।
“ तड्पता हूं तुझसे हर पल मिलने को,तू मिलने के इशारे से, छोड देती है तडपने को,
दोस्तो को क्या सुनाऊं, अपने दिल का हाल दिल लगाया तुमसे, तब नहीं पूछा दोस्तों को॥“
आएगी याद तेरी, चुप चुप के रो लेंगे|
अंखियों के दर्द को हम, चुपके से सह लेंगे||जब पूछेगा सारा जहां, तेरा यार अब है कहां|
बताएंगे ना हम| तन्हा रह गए हैं हम|
हो दिल मेरा तोड़ चले॥
जीने की खाई कसम, मगर मुख मोड चले॥
(नीतेश शाक्य 9719445146)
सब होंगे इस दुनिया मैं, नहीं तेरा कोई होगा|
सब होंगे इस दुनिया मैं, नहीं तेरा कोई होगा|
करेंगे नफरत तुझसे, तू कितना भी प्रेम करेगा||
रहेंगे सदा साथ तेरे, वक्त पड़ें मुख मोडेंगे|
जीता है जिसके लिए तू, वो ही तुझको छोड़ेंगे||१||
अपना-अपना तू कहता, सब हैं तेरे पराये|
अपनों ने ही लुटा, हमको जख्म दिलाये||२||
इस दुनियां मैं सब होंगे, नहीं तेरा मन लगेगा|
तू है जख्मों का मारा, तेरे जख्मों में दर्द रहेगा||३||
तू है सबको चाहने वाला, तुझको नहीं कोई चाहता|
रखता है दिल में जिसको, वो ही तुझे ठुकराता||४||
भटकता रहेगा बन्दे, तेरा कोई न होगा|
सच लिखता नीतेश, भरोसा किसपे तू करेगा|
करेंगे नफरत तुझसे, तू कितना भी प्रेम करेगा|
नीतेश शाक्य (०५/०१/२०१९)
गजल
हर रोज
गऊंये यहां कटती-2, अब कोई बचाता नहीं
है।
सरे आम
कत्ल ए आम होते-2, दोष भगवान करता नही
है।
मानव-मानव
आपस में झगडते, इंसानियत का नाम नहीं है।
कोई
दौलत के पीछे झगड्ता, कोई औरत के पीछे है
लडता।
दौलत
औरत हुई ना किसी की, इनका कोई भरोसा नहीं है।1।
सरे आम
कत्ल ए आम होते-2, दोष भगवान करता नही
है।
मौत लेके आती
बहाना, जिंद्गी का सफर
है सुहाना।
बच न पाये एन.एस. कभी तू, मौत का कोई ठिकाना नहीं।2।
सरे
.................................-2, दोष.........................नही है।
गऊंओं
पे कतरनी चली है, भगवा
की बरतनी बडी है।
मैंने
भेजा था इंसा बनाके-2, ये तो जानवर जैसे
नहीं हैं।।3॥
सरे .................................-2, दोष.........................नही है।
एन.एस. दु:ख की घडी आन पडी है-2, कोई सुखमय दिखाता नहीं है।
सरे
.................................-2, दोष.........................नही है।
हर रोज
गऊंये यहां कटती-2, अब कोई बचाता नहीं
है।
Tathagat Neetesh shakya (13/03/2019)
एक वेवफा ने मुझको, दोषी बना दिया।
एक वेवफा ने मुझको, दोषी बना दिया।
एक वेवफा ने मुझको, दोषी बना दिया।
जिसको चाहा दिल से, उसने दगा दिया।
जिसको चाहा दिल से, उसने दगा दिया।
थे वे गुनाह हम, गुनहगार बना दिया।
एक वेवफा ने मुझको, दोषी बना दिया।
दामन पे दाग लगाके, मेरा जीना विराम किया।
ये था दिवाना दिल, उसपे गुमान किया॥
क्या भला था उसमें, जो मुझको गवा दिया।
क्या भला था उसमें, जो दिल को गवा दिया॥
वादे किये थे हमसे, निभाये कईं जाके।
मेरे ही अपनों ने, किस्से बताये आके॥
अपनाया जिसको हमने, उसने दगा दिया।
एक वेवफा ने मुझको, दोषी बना दिया।
“मुहब्बत में होते इतने गिले शिकवे,
गर में जान जाता।
इन तन्हाइयों में जीना सीख लेते,
कभी इनसे दिल न लगता॥“”
रातों की नीदें उडाके, महफिल सजाई जाके।
रोता छोडा मुझको, खुशिया मनाई जाके॥
खुशियों की महफिल में, मुझको भुला दिया।
एक ...............................................दिया।
थे वे गुनाह हम, गुनहगार बना दिया।
जिसको चाहा दिल से, उसने दगा दिया।
एक ...............................................दिया।
Sorry for wrong word. By Neetesh Shakya(16/07/2019)




1 comment:
Nice gajal
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