Monday, 9 March 2020

Prayprayves as kis Ras mai hai

"प्रियवास" में  श्रंगार रस की प्रदानता है।
 यह  वियोग श्रंगार  पर आधारित महाकाव्य है। इसके नायक व नायिका शुध्द मानव-रूप में सामने आए हैं। नायक  श्री कृष्ण लोक संरक्षण तथा विश्व कल्याण की भावना से परिपूर्ण मनुष्य हैं।
जिसमें वृंदावन को छोड़कर कृष्ण का मथुरा जाना तो वृंदावन की ग्वाल गोपियों में बिरह उत्पन्न होना। कृष्ण द्वारा ऊद्धव के माध्यम से अपनी खबर भिज बातें हैं। जब उद्धव ग्वाल गोपियों को समझाते हैं तो ग्वाल गोपियां में और विरह उत्पन्न हो जाता है। अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध ने अपने "प्रियप्रवास" रचना की है जिसमें 17 सर्ग हैं। यह महाकाव्य श्रीमद् भागवत का दसवां स्कंध है।

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