Monday, 9 March 2020

होली By नीतेश शाक्य अजनबी

                    *होली

 "एक सखी अपने मन की कहती हुई दूसरी सखी से बोली बहिन मेंने तो प्रेम विवाह करने का विचार कर लिया है। जैसे आपने प्रेम विवाह किया, तो वह सखी समझाती हुई अपनी सहेली से बोली-----"

सुन सखी हमारि, प्रेम में भई मेरी शादी।
सुन सखी हमारि, प्रेम में भई मेरी हे..........

पहले सब अच्छा लगता था, हमने प्रीति लगाई।
अपने परिवारी जन छोडे, उन संग प्रीति लगाई।।
छूटो मेरो परिवार, प्रेम में भई बर्बादी।

शादी  से पहले मन की करते, जो जी चाहे दिलावें।
अरे! शादी भई है जब से मेरी, तब से आंख दिखावें।।
बदले पिया हमारि, सुन सखि बात हमारी।

पहले हमकों देख जियत ते, अब कोई चिन्ता नाहीं।
में भी नादान मर बैठी, अब रही पछताई।।
भओ जीवन वेकार, प्रेम में भई मेरी शादी ।

तुमकों सखी हम समझावें, रीति न काऊ से लगाना।
जीवन तुमरो होय वेकार, फिर होवे पछताना।।
मान सखी हमारि, ऐसी ना कर शादी।।

 *नीतेश शाक्य* 🖋️
 Uploaded date: 09/03/2020
www.nsajanbi.blogspot.com

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