याद आ रही है एक कहानी, जो दिल मै छुपी थी मेरी जुवानी।
नचेरे-कुदेरे तेरे न मेरे, कहीं शाम होती है कहीं पर सवेरे॥
नचेरे-कुदेरे तेरे न
मेरे........................................................
इन के साथ में वफा तुम करना, चले जायेगें वो
तुम रह जाओगे अकेले...........
नचेरे-कुदेरे तेरे न मेरे.......................................................
जिसने दिल लगाया है, उसका
दिल वो तोड गये-2
जिसने तुम्हें अपना समझा, उन परिन्दों को छोड गये।
दोस्त भी छोड देते, कर देते
अकेले।
नचेरे-कुदेरे तेरे न
मेरे..................................................
पहिचान कितनी ही बना लो, वो ही भूल जायेगें।
तुम तडपते रहोगे, वो छोड
जायेगें।।
यही है दास्तां दोस्तो, शब्द समझो मेरे।
नचेरे-कुदेरे तेरे न
मेरे................................................
क्या करते ये क्या सोचते हैं, रब भी परख नहीं पाया।
कैसे सबको बस में करते, कोई समझ नहीं पाया॥
अपनी वानी से सबको मोहित वो करते है।
मत करना प्यार इनसे, चलते
फिरते परिंदे हैं॥
एन.एस. सबसे कहता, झूठ
शब्द न मेरे................।
नचेरे-कुदेरे तेरे न
मेरे...................................2
By (Neetesh Shakya)
5 comments:
goods
Nice Lines
Nice Lines
Nice
Gjb
Post a Comment