Sankisa Film City

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Tuesday, 7 May 2019

Doha by Priy Neetesh Shakya

Priy Neetesh Shakya
लिखने को तो हम बहुत कुछ लिख सकते हैं, लेकिन आज के दौर में सब कुछ लिख चुका है और बहुत अच्छे अनुभवी लेखक हुए हैं| उन्होंने कोई भी शब्द गलत नहीं लिखे जो हमारे संज्ञान में और दिमाग में शब्द आए हैं| वह हम लिख रहे हैं यदि कोई त्रुटि बने तो हमें क्षमा करें और आगे बताएं
दोहा तो वैसे कबीरदास और अच्छे महान कवि हुए हैं उन्होंने लिखे हैं| लेकिन फिर भी हमने जो दोहे लिखे हैं हमने कोशिश की है  शब्द मैचिंग करने की|
दोहा:-
सुंदर रूप निराला, मन में भरी गंद|
इस काया का क्या होय, बस में नहीं अंग||1||
 चलती पवन बहती नदी, इनके कोई न रूप|
किस दिशा में मोड़ चलें, क्या इनका स्वरूप||2||
मूर्ति पूजा कर रहे, पत्थर से लागी आस|
माता पिता दुख में पड़े, हो रहे वो हिरास||3||
फेसबुक चला रहे तुम, हो रहे हो असाय|
पढ़ना लिखना रहा नहीं मांग रहे व्यवसाय||4||
पीठ पीछे शेर बने, सामने निकले प्रान|
देशहित कुछ बात नहीं, धर्म पर फिजूल बयान||5|| 
रिश्वतखोरी खुद करें, दोषी हो सरकार|
गिरेबान में झांक के देखो,आप कौन साकार||6||
पढ़ने के बहाने आप, पार्क रहे घूम|
मात पितु की दौलत से, करते खूब सुकून||7||
कालेज का बहाना कर, पिकनिक रहे मनाय|
नौकरी नहीं लग रही, सरकार दोषी काए||8||
2019.05.07 9:04 PM

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