था अज्ञान हम यहां पर, आकर
के ज्ञान कराया।
संसार था सूना-सूना, कर दी
तूने हरियाली।
तेरे प्यार से जीवन में, छाई है ‘ये’ खुशाहली॥
भटक गया था जग ये,
सदमार्ग तुमने दिखाया।
था
अज्ञान..........................................कराया।
निकाला है तुमने मुझको, आंड्वर की जंजीरों से।
जकडे पडे थे यहां पर,
छुडाया है जंजीरों से॥
दीपक बनके तुमने, उजाला
मुझे दिखाया।
था
अज्ञान..........................................कराया।
सुगत की मधुर वानी, जन-जन
के दिल में समानी।
करुणा दया शीलता, शांती
की है निशानी॥
एन.एस. अजनबी तो, लिखता है अपने दिल से।
गर भूल हुई हो मुझसे, बताना
आप दिल से॥
अर्हत की वाणी से,
सदमार्ग हमने पाया।
था
अज्ञान..........................................कराया।
आकर के इस जग में, सब
कुछ मुझे सिखाया।
था अज्ञान हम यहां पर, आकर के ज्ञान कराया।Priy Neetesh Shakya
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