हम परदेशी होते रवाना, मुझपे न होना फिदा(हमसे न करना वफा।
प्रीति न करना हमसे प्यारे, किस-किस की हम प्रीति निभायें।
चले जायेंगे हम लोग यहां से, यूं न मिलाना निगाहें॥
ये अखियां आंसू ना देखे, हंसके हमको करना विदा। हो..हो..आ.आ.
ये कैसी घडी आ गयी है, कल था मिलन आज है जुदाई।
हंसना-हंसाना हमारा तुम्हारा, छा गयी है रुसवाई॥
मिलन हमारा अंतिम ना होवे, न कहना मेरा है अलविदा। हो..हो..आ..
इस गांव की रीति प्रीति, भूलें न हम चलते जहां में।
खुशियां हमको सब ने दी हैं, ये खुशियां पाऊं कहां में॥
याद रखेंगे ये सम्मान, जो हमको इस दर पे मिला। हो..हो..अ..आ..
हम परदेशी होते रवाना, मुझपे न होना फिदा(हमसे न करना वफा।
समय विदाई का आ गया है, हसके हमको करना विदा।
Sorry for wrong word (Neetesh Shakya)14/06/2019
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