Sankisa Film City

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Tuesday, 10 March 2020

सूरदास वात्सल्य रस के सिध्दि कवि हैं समीक्षा करें by Neetesh Shakya

भक्त शाखा के प्रमुख कवि भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त महाकवि सूरदास ने श्री कृष्ण के जन्म का बहुत अच्छा वर्णन किया है। प्रमुख रचना "सूरसागर" में श्रीकृष्ण का अपने बंद आंखों से भी भगवान श्री कृष्ण की हर छवि का वर्णन किया है। मानो भगवान श्री कृष्ण उनकी आंखों के सामने उन्हें अपनी छवि दिखा रहे हो। कवि ने श्री कृष्ण के दांतो का निकलना व चमकना, घुटुवन चलना, मिट्टी में लोटना, ग्वाल वालों के साथ वन में जाना और गायों को चराना, गोपियों के घर में घुसकर दही चुराना आदि छविदार वर्णन किए हैं। जिस तरह कवि सूरदास ने अत्यंत मनोहरी चित्रण किये हैं। सचमुच सूरदास ने अपनी बंद आंखों से वात्सल्य के क्षेत्र की जैसी रंगमयी मधुर झांकी प्रस्तुत की है। वर्तमान में कवि सूरदास द्वारा रचाई गई झांकी के अनुसार ही झांकी दिखाई जा रहे हैं विश्व साहित्य में सूरदास जी वात्सल्य रस के एकछत्र सम्राट हैं। बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि बंद आंखों से भी सूरदास ने बहुत अच्छा वर्णन किया है इसलिए उन्हें विद्वानों ने वात्सल्य रस का सम्राट माना है ।

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